दिल्ली के चुनाव में वोटर को प्रभावित करने के लिए उम्मीदवार तरह-तरह की चीजें बांट रहे हैं और चुनाव आयोग लाचार नजर आता है। पिछले मंगलवार को जंगपुरा में साप्ताहिक बाजार के दिन जगह-जगह कुर्सियों के ढेर लगे थे। कोई भी व्यक्ति सड़क से दो-तीन कुर्सियां मुफ्त में उठाकर ले जा सकता था। लोग ले भी जा रहे थे। कुर्सियों की रखवाली करने वाला कोई व्यक्ति नहीं था। लोगों को इस बात का संदेश उम्मीदवार की ओर से मिला हुआ था कि मुफ्त में कुर्सियां उनके लिए ही रखी गई हैं। लाल, नीले, पीले और सफेद रंग वाली ये कुर्सियां प्लास्टिक की थीं। बंजारे जब पता किया तो मालूम हुआ कि प्रायः हर विधानसभा क्षेत्र में इसी तरह से मतदाताओं को फ्री चीजें बांटी जा रही हैं। अभी तक यह जानकारी बंजारे को नहीं मिली कि कहीं पर मुफ्त बांटी जाने वाली चीजें आयोग ने पकड़ी हों। बंजारे को बस यही पता लगा कि बांटी जाने वाली चीजें कई प्रकार की हैं। इनमें ज्यादातर जरूरत का सामान है।
विधानसभा चुनाव बाद फिर से चुनाव में जुटेंगे शिक्षक
दिल्ली में इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां चरम पर हैं, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे सम्बद्ध कॉलेजों में केवल विधानसभा चुनाव ही चर्चा में नहीं है, बल्कि वहां विधानसभा चुनाव के अगले ही दिन कार्यकारी और विद्वत परिषद के चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षक बीते एक महीने से इस चुनाव में जुटे हुए हैं। चुनाव में जीत के लिए लगातार प्रचार कर रहे हैं। अब चूंकि विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, तो ऐसे में शिक्षक भी कमर कसे हुए हैं। जैसे ही विधानसभा चुनाव होंगे, ठीक उसके अगले दिन डीयू ईसी-एसी चुनाव में शिक्षक अपनी भूमिका निभाएंगे। मतलब एक चुनाव के बाद तुरंत दूसरे चुनाव को लेकर जुटेंगे शिक्षक ।
आयकर में छूट पर लोगों में खुशी का माहौल
कई सालों से आयकर दाताओं को बजट में कोई विशेष छूट नहीं मिलती थी। थोड़ा बहुत देकर आयकर का स्लैब वही रखा जाता था, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने लोगों को उम्मीद से ज्यादा कर में छूट देकर लोगों के बीच अपनी वाहवाही करा ली है। आम लोग खासकर मध्यम वर्गीय परिवार ने इसे सरकार का बड़ा कदम बताते हुए कहा कि इतनी महंगाई में इतना छूट देना काफी मुनासिब है। सरकार ने लोगों का मन जीत लिया है। कई लोगों ने भले ही उसे चुनावी बजट बताया, लेकिन उनमें भी खुशी कम नहीं है।
अभी चुनावी नौटंकी देख रहे हैं चुनाव जीतने के लिए नेता और उनके कार्यकर्ता तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। वहीं कोई दल गारंटी भी दे रहा है। ऐसे में मतदाता भी भ्रमित दिखते हैं कि वह किसका चुनाव करे और किसके सिर जीत का सेहरा बांधे। ऐसे में कयास यहीं लगाए जा रहे हैं कि जिसने ज्यादा से ज्यादा वादे या गारंटी दिए हैं, उसकी जीत पक्की है लेकिन ऐसे भी कई मतदाता हैं जिनका कहना है कि अभी चुनावी नौटंकी देख रहे हैं वोट तो मतदान के दिन देंगे। ऐसा कहकर वह अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं।
विश्वास को लेकर असमंजस यमुनापार में कई महिलाएं आजकल असमंजस में हैं परेशानी की वजह से घर में दूषित जलापूर्ति जारी है। वो भी लगातार छह महीने से इस समस्या से परेशान हो चुकी हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से शिकायत की गई तो वे एक-दूसरे के ऊपर मामला डालते हुए पल्ला झाड़ते रहे। समस्या जस की तस है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव पांच फरवरी को है। एक महिला से यह चर्चा करती सुना गया कि दिल्ली में किसी भी पार्टी की सरकार बने, लेकिन अभी तक यह समस्या दूर नहीं होने से महिलाओं में भी अविश्वास बढ़ता जा रहा है। आखिर कौन सा प्रत्याशी होगा जो हमारी इस समस्या को सुनकर निवारण करेगा या केवल अनसुना ही करेगा।… More News